भानगढ़ - 1 Anil Sainger द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भानगढ़ - 1

सुबह से तेज बारिश हो रही थी | अमन ने कई बार जतिन और ईशान को फ़ोन मिलाने की कोशिश की लेकिन फ़ोन मिलते ही कट रहा था | अमन परेशान हो कर दोनों को मेसेज भेज कुछ देर इन्तजार करता है | काफी देर तक जब मेसेज डिलीवर नहीं होता है तो वह मौसम को गालियाँ देते हुए सामान पैक करने लगता है|

वह सामान पैक करते हुए बुदबुदा रहा था ‘साले पहले ही जाने को तैयार नहीं थे | ऊपर से ये मौसम भी उनकी मदद करने में लग गया है | अभी तो मैंने इन दोनों को भानगढ़ के किले और उसके बारे में फैली भूतिया कहानियों के बारे में कुछ नहीं बताया है | अगर वो बता देता तो शायद दोनों जाने को तैयार ही नहीं होते | भूत और खंडहर देख कर तो वैसे भी जतिन की जान निकल जाती है | अच्छा ही हुआ | मेरा भी मजा किरकिरा कर देते | अकेले में ऐसी जगह जाने का मजा ही कुछ और है | ऐसी जगहों में साथ ऐसा होना चाहिए जो मुसीबत में साथ दे | डर कर भागे नहीं | चलो जो होता है अच्छा ही होता है | मुझे नहीं लगता कि मेरे जाने के बाद ये लोग वहाँ आएंगे’, बैग बिस्तर पर रख वह गुस्लखाने की ओर चल देता है |

वह गुस्लखाने से कुछ सामान ला कर बैग में ठूसते हुए एक बार फिर फ़ोन उठा कर देखता है | फ़ोन में नेटवर्क न देख वह गुस्से से फ़ोन बेड पर पटक कर रसोई की ओर जाते एक बार फिर से बुदबुदाने लगता है ‘ऐसी कैसी बारिश हो रही है कि न तो कॉल लग रही है और न ही नेट चल रहा है | सालों की किस्मत साथ दे रही है | तीन दिन छुट्टी मैं ऐसे बर्बाद नहीं कर सकता | होली के दिनों में वैसे भी राजस्थान जाने का मजा ही कुछ अलग है | पता नहीं इस मौसम में इतनी मूसलाधार बारिश कहाँ से आ गई है | साले रहते भी तो दिल्ली के दूसरे कोने में हैं | उन्हें घर से भी तो नहीं ले सकता | मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा | रास्ते से फ़ोन करूँगा | बारिश का मौसम तो है नहीं | और दो-तीन घंटे में बंद हो जायेगी | मैं निकलता हूँ’, बुदबुदाते हुए वह बैग कंधे पर लटका कर बाहर की ओर चल देता है |

कार में बैठ कर अमन एक बार फिर फ़ोन उठा कर देखता है | अभी भी नेट नहीं आ रहा था | वह मोबाइल कम्पनी को गालियाँ देते हुए कार स्टार्ट कर अपनी सोसाइटी के गेट की ओर बढ़ जाता है | सड़क पर जगह-जगह पानी भरा हुआ था | वह धीरे-धीरे गाड़ी चलाते हुए बाहर मेन रोड पर आ जाता है | बारिश की रफ्तार कुछ थमी थी | बारिश धीमी होती देख वह सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर एक बार फिर फ़ोन मिलाता है | लेकिन नेटवर्क तो जैसे बारिश में धुल गया था | वह गुस्से में फ़ोन पटक गाड़ी को एक बार फिर से स्टार्ट कर तेजी से दिल्ली-जयपुर रोड की ओर बढ़ जाता है |

दिल्ली से बाहर निकलते ही बारिश की रफ़्तार एक बार फिर तेज हो गई थी | सामने सड़क पर बहुत कम दिख रहा था | बारिश की तेजी देख वह गाड़ी की स्पीड कम कर गाड़ी बीच रोड में चलाने की बजाय बाई ओर कर लेता है | वह गाड़ी का डीपर दबा इत्मीनान से धीमे-धीमे अलवर की ओर बढ़ने लगता है |

अचानक उसे दूर सड़क के किनारे एक सफेद साड़ी में लिपटी औरत दिखती है | वह ध्यान से देखने की कोशिश करता है | वह औरत शायद अपने बच्चे को छाती से लगाये इस घनघोर बारिश में सड़क किनारे खड़ी थी | इस जबरदस्त बारिश में सुनसान सड़क पर बच्चे के साथ खड़ी उस औरत को देख अमन बहुत हैरान होता है | ये सोच कि शायद वह औरत बस का इन्तजार कर रही होगी अपनी गाड़ी धीमे कर देता है | वह औरत जैसे-जैसे पास आती जा रही थी अमन की आँखें फटती जा रही थीं | बारिश के कारण उसकी साड़ी पूरी तरह से शरीर से चिपक चुकी थी | उसका ब्लाउज काफी छोटा था और उसने साड़ी नाभि से काफी नीचे पहनी हुई थी | भीगने के कारण ऐसा लग रहा था जैसे वह पेटीकोट और ब्लाउज में ही खड़ी है | इस तेज होती बारिश में भी अमन उसके सुंदर चेहरे को साफ़-साफ़ देख पा रहा था | उसकी तीखी नाक, बड़ी-बड़ी कटीली आँखें और मुस्कुराते होंठ उसे किसी अप्सरा  से कम नहीं लग रहे थे | वह उस औरत के पास गाड़ी  रोकते हुए सोच रहा था ‘अच्छा हुआ वह दोनों नहीं आये | आज का सफर तो लगता है यादगार रहने वाला है’ | वह औरत गाड़ी पास आते देख हाथ उठा कर गाड़ी रोकने का इशारा करती है | उस के पास पहुँच कर अमन शीशा नीचे करते हुए बोला “आप इस तेज बारिश में बच्चे के साथ क्या कर रही हैं” |

वह औरत बोली “मैं बस का इन्तजार कर रही हूँ | अगर आपको कोई परेशानी न हो तो.....” | अमन उसका सुंदर चेहरा देखता ही रह जाता है | वह औरत उसकी दशा भांप कर हँसते हुए बोली “आपकी गाड़ी सारी गीली हो जाएगी | सोच लीजिये” ? अमन अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए बोला “कोई बात नहीं आप आ जाइए | इस बारिश में पता नहीं कितनी देर में बस आये”, कह कर वह गाड़ी का दरवाज़ा खोल देता है |

वह औरत सिमटते हुए गाड़ी में बैठ दरवाज़ा बंद करते हुए बोली “आप जैसे भले लोग अब इस दुनिया से खत्म होते जा रहे हैं” | अमन गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोला “नहीं ऐसी कोई बात नहीं है | मेरे जैसे हजारों हैं | बस नजर चाहिए..” |

वह औरत हँसते हुए बोली “आप तो बातें भी अच्छी कर लेते हैं” |

अमन मुस्कुराते हुए बोला “वैसे आप जा कहाँ रही हैं” | वह औरत हँसते हुए बोली “मैं वहीं जा रही हूँ | जहाँ आप जा रहे हैं” |

अमन हँसते हुए बोला “आप मज़ाक अच्छा कर लेती हैं | आप को कैसे पता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ | और अगर मैं गाड़ी नहीं रोकता तो....” | वह बीच में ही बात काटते हुए बोली “आप गाड़ी कैसे नहीं रोकते | मैंने जब जाना आपके साथ था तो आपको गाड़ी रोकनी ही पड़ती | ऐसे नहीं तो वैसे लेकिन गाड़ी जहाँ आपने रोकी वहीं रुकनी थी” |

अमन मुस्कुराते हुए बोला “आप बात घुमा क्यों रही हैं | मैंने जो सवाल पूछा था | आप.....” |           

वह बीच में ही बात काटते हुए मुस्कुरा कर बोली “आप किला देखने जा रहे हैं और मैं उस किले में रहती ....” | उसकी बात सुन अमन पूरी तरह से काँप उठता है | फिर भी वह अपने आप पर काबू पाते हुए बोला “आ...प इतने.... यकीन से कैसे कह रही हैं” |

वह हँसते हुए बोली “मैंने ही तो आपके दोस्तों को आने से रोका था | और देख लीजिये आप अकेले आ रहे हैं” | उसकी बात सुन अमन के साहस का बाँध टूट जाता है | उसके हाथ-पैर काँपने लगते हैं | उसकी काफी कोशिश के बावजूद उसके हाथ से गाड़ी का स्टीयरिंग छूट जाता है | गाड़ी हवा में लहराते हुए पलट जाती है | अमन गाड़ी का शीशा तोड़ते हुए बाहर सड़क पर आ गिरता है | उसका सिर जैसे ही जमीन पर लगता है तो वह ‘आह’ करते हुए आँख खोल कर अपने आस-पास देखता है |

वह आस-पास का नजारा देख जोर से सिर पर थप्पड़ मारते हुए बुदबुदाया ‘साला, हर जगह जाने से पहले मुझे ऐसा ही सपना आता है | काश ! कभी ऐसा सपना सच भी हो जाता | ऐसी सुंदर और सेक्सी भूतनी ही सही | कोई तो आये इस बेमुरव्वत जिन्दगी में’, बुदबुदाते हुए वह फर्श से उठ कर बेड पर बैठ जाता है | अचानक उसे कुछ याद आता है | वह जल्दी से उठ बेड के साथ पड़ी टेबल से फ़ोन उठा कर समय देखता है | समय देखते ही वह गुस्लखाने की और तेजी से बढ़ते हुए बुदबुदाया ‘दस बज रहे हैं और मेरी नींद अब खुल रही है | अमन भाई जल्दी कर नहीं तो आज उन दोनों से बहुत गालियाँ पड़ेगी’, बुदबुदाते हुए वह गुसलखाने में घुस दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है |